क्या आप भी अपने बिज़नेस को ऑनलाइन करना चाहते है और इंटरनेट के जरिये उसे देश विदेश में पहुँचाना चाहते है? तो आप बिलकुल सही जगह पर हो. क्युकि आज मैं आपको इसी बारे में जानकारी देने वाला हु.
यदि आप अपने बिज़नेस को ऑनलाइन लाना चाहते हो उसके लिए आपको सबसे पहले एक वेबसाइट की जरुरत पड़ेगी और वेबसाइट को बनाने के लिए कम से कम आपको दो चीजों की जरूरत पड़ेगी. पहला है Domain और दूसरी है Web Hosting
यदि आप इंटरनेट की दुनिया में बिज़नेस के लिए पहली बार कदम रख रहे है तो ये मुमकिन है कि आपको नहीं पता होगा कि Domain Name Kya Hai (Domains In Hindi) इसमें कोई नयी बात नहीं है. सबके साथ पहली बार यही होता है.
आज आपको डोमेन के बारे में छोटी से लेकर बड़ी हर चीज जानने को मिलेगी जैसे डोमेन नेम क्या है (what is domain name meaning in hindi), ये कैसे काम करता है, डोमेन नेम के प्रकार, subdomain, DNS, कौन सी डोमेन एक्सटेंशन बेस्ट होती है (.com vs .in vs .net) और भी कई सारे सवालों पर बात करेंगे इसलिए पोस्ट से जुड़े रहे और अंत तक पढ़ते रहे.
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डोमेन नेम क्या है?(what is domain name meaning in hindi)
सबसे पहला सवाल ये उठता है कि आखिर Domain Name Kya hota Hai. यदि एक शब्द में इसका बताऊ तो डोमेन आपकी वेबसाइट का नाम होता है. चलिए थोड़ा बारीकी से जानते है. उदाहरण के लिए अपनी वेबसाइट ले लेते है.
- इस पुरे उदाहरण को है Web-address कहते है और यहाँ पर rohitshuklaलिखा हुआ है जो वेबसाइट का डोमेन नेम है
- इसके बाद में .com लिखा हुआ है. जिसे एक्सटेंशन या डोमन नेम एक्सटेंशन कहते है. इसे हम दूसरी भाषा में Top level domain (TLD) भी कह सकते हैै. TLD डोमेन के टाइप्स के अंतर्गत आता है. जिसके बारे में आगे बात करेंगे.
- शुरुआत में https:// लिखा हुआ है. जिसका मतलब होता है Hypertext Transfer Protocol Secure जो एक सिक्योर वेबसाइट को दर्शाता है. Internet पर हर वेबपेज के लिए एक protocol होता है. protocol का मतलब “नियमो का बंडल” होता है
जिसे हर “web-address” को फॉलो करना जरुरी होता है. प्रोटोकॉल कई प्रकार के होते है जिनमे से HTTPS:// और HTTP:// भी है. http:// का फुल फॉर्म Hypertext Transfer Protocol होता है. जो एक असुरक्षित वेबसाइट को दर्शाता है.
इसलिए हमे बताया जाता है कि जब भी इंटरनेट पर किसी भी वेबसाइट पर विजिट करे तो हमेशा https:// देखे यदि उनमे http:// है तो वो असुरक्षित वेबसाइट है. उस वेबसाइट पर कभी भी अपनी पर्सनल इनफार्मेशन न दे खासकर क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग आदि से जुडी जानकारी
- इसके बाद www दिया गया है. जिसका मतलब World Wide Web होता है. इसे हम दूसरी भाषा में Subdomain भी कह सकते हैै.
डोमेन नेम कैसे काम करता है? (How Domain name works in Hindi)
Domain Name, Domain Name System (DNS) के अंतर्गत काम करता है, जिसे इंटरनेट की एड्रेस बुक कहते है, DNS कैसे काम करता है? इसके बारे में आगे बात करेंगे.
जिस सिस्टम से आपके डोमेन नाम को ऑपरेट किया जाता है उसे Domain name system कहते है. इसे शार्ट में DNS कहते है. यही आपके डोमेन से रिलेटेड जानकारी स्टोर रहती है.
जैसे उसका Owner, Ip address, Status, C Name records, MX records, TXT records और और अन्य रिलेटेड जानकारी.
यदि हम और आप बड़ी आसानी से अपनी मनपसंद वेबसाइट को एक्सिस कर पाते है तो इसमें DNS का बहुत बड़ा योगदान होता है.
आप में बहुत से लोगो के मन में एक सवाल आ रहा होगा की क्या डोमेन नाम जरुरी होता है. क्या इसके बिना भी किसी वेबसाइट या किसी वेब पेज पर नहीं पंहुचा जा सकता है? मेरा उत्तर है हाँ पंहुचा जा सकता है इसको समझने के लिए आज के समय से थोड़ा पीछे चलते है.
मैं आपको बता दू की शुरुआती दौर में “Web address” नहीं होते थे और इसके स्थान पर IP address हुआ करते थे. यह एक नंबर होता है
जो किसी कंप्यूटर या कंप्यूटर नेटवर्क का पता बताता है इंटरनेट से कनेक्ट होने पर कंप्यूटर आईपी एड्रेस की मदद से सुचना को भेज और प्राप्त कर सकता है
Ip Address का फुल फॉर्म Internet Protocol address होता है.
इंटरनेट से जुडी हर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, वेब पेज का एक यूनिक IP एड्रेस होता है जो उस खास डिवाइस या पेज का एड्रेस बताता है.
यदि अपनी आम भाषा के कहे तो ये ठीक उसी तरह होता है जैसे आपके शहर में आपका “पिन कोड” होता है जैसे की हमको पता है. कि
यदि हम लोग किसी जगह को उसके पिन कोड से याद रखने की कोशिश करेंगे तो हमको बहुत सी प्रॉब्लम होगी लेकिन ठीक उसी जगह हम उसे नाम से याद रखेंगे तो हमे वह जल्दी याद हो जायेगा.
ठीक यही समस्या आती है हमे किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या वेब पेज के IP एड्रेस को याद करने के लिए. IP एड्रेस 66.171.248.170, 47.8.251.130, 192.168.17.43, 135.58.24.17 कुछ ऐसे होते है। इसी समस्या को हल करने के इरादे से डोमेन नेम की शुरुआत की गयी.
इसकी मदद से हम किसी IP एड्रेस को आसानी से याद कर सकते है. आप के मन में एक सवाल आ सकता है कि क्या अब IP एड्रेस को खत्म कर दिया गया है?
मेरा उत्तर है नहीं !! आज भी सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का IP एड्रेस है. पहले IP एड्रेस का यूज़ कंप्यूटर और हम इंसानो दोनों द्वारा किया जाता था.
लेकिन अब सिर्फ कंप्यूटर द्वारा किया जाता है. क्युकि कंप्यूटर डोमेन नेम को नहीं समझते है वो आज भी किसी एड्रेस को उसके IP एड्रेस से पहचानते है.
Domain Name System (DNS) kya hai (What is DNS in hindi)
DNS का फुल फॉर्म Domain Name System होता है. DNS, यूआरएल को IP एड्रेस से कनेक्ट करता है जब भी आप कोई यूआरएल सर्च करते है.
यदि आपका कंप्यूटर DNS का यूज़ कर रहा है तो आप किसी वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए सिर्फ उसका यूआरएल डाल देंगे तब भी वो आपको उस वेबसाइट तक पंहुचा देगा बिना आपको उस वेबसाइट का IP एड्रेस डाले। यदि आप IP एड्रेस भी डालते है तब भी आप उस वेबसाइट तक पहुंच जायेंगे.
कठिन नामो से छुटकारा पाने के लिए IP एड्रेस की शुरुआत स्टैनफोर्ड में एलिजाबेथ फीनलर ने 1970 और 80 के दशक में की थी
जिन्होंने HOSTS.TXT नाम की एक टेक्स्ट फ़ाइल में इंटरनेट से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और वेब पेज की एक मास्टर लिस्ट बनाई जिसे इन्होने DNS नाम दिया। समय के साथ साथ इसमें बदलाव किये गए है
Domain Name System (DNS) को आप एक तरह से इंटरनेट की फोनबुक कह सकते है क्युकि इसके पास इंटरनेट की सभी वेबसाइट का नेम और IP एड्रेस होता है तभी जब आप कोई भी यूआरएल डालते है तो ये आपको उस वेबसाइट पर पंहुचा देता है.
IP एड्रेस दो प्रकार है होते है IPv4 और IPv6
IPv4 (192.168.1.1) कुछ इस तरह दिखते है और IPv6 (2400: cb00: 2048: 1 :: c629, d7a2) कुछ इस तरह दिखते है. DNS की वजह से IPv4 और IPv6 जैसे कठिन नंबर को याद करने की जरुरत खत्म हो जाती है
हमे नहीं पता होता लेकिन हम लोग अपने दिन में कई बार डीएनएस का यूज़ करते है जैसे ईमेल, ब्रोज़रिंग, etc.
Domain Name System (DNS) कैसे काम करता है
जब आप किसी यूआरएल को अपने Web browser में डाल कर सर्च करते है तो DNS उसे अपनी फ़ोन बुक में सर्च करता है और उससे रिलेटेड IP एड्रेस में बदल देता है फिर वो आपको उस यूआरएल तक पंहुचा देता है यदि आप बार बार किसी यूआरएल को सर्च करते है तो वो यूआरएल cache के रूप सेव हो जाता है जिससे यदि आप फ्यूचर में उस यूआरएल को सर्च करते हो तो ब्राउज़र आपको जल्दी रिजल्ट शो कर सके. cache मेमोरी का साइज बहुत कम लेकिन तेज होता है इसलिए ये अपने पुराने डाटा को समय समय पर डिलीट करती रहती है
Top domain name providers list
दुनिया में बहुत domain name providers है लेकिन कुछ बेहतरीन domain name providers है जिनके नाम निम्न है
- GoDaddy
- Bluehost
- Namecheap
- HostGator
- DreamHost
- Shopify
मैं आपको पर्सनल HostGator वेबसाइट रिकमेंड करूँगा क्युकि यदि आप वहां से डोमेन खरीदोगे तो मैं आपको स्पेशल डिस्काउंट कूपन दूंगा. डिस्काउंट के लिए नीचे दी गयी लिंक पर क्लिक करे और बताये गए कूपन कोड को यूज़ करे.
.COM Domain के लिए “HGCOM” डिस्काउंट कोड है और .IN Domain के लिए “HGIN” डिस्काउंट कोड है
Types of domain in Hindi
हम जानेगे कि डोमेन नाम (domain in hindi) कितने प्रकार के होते है? डोमेन 5 प्रकार के होते है
Top Level Domain – TLD
Top Level Domain (TLD) 3 प्रकार के होते है. एक टॉप लेवल डोमेन (TLD) रूट डोमेन के बाद इंटरनेट की डोमेन लिस्ट में सबसे हाई लेवल के डोमेन है.
TLD डोमेन हमेशा से लोगो की पहली पसंद रहे है. आप भी जब अपनी वेबसाइट या ब्लॉग को बनाये तो TLD डोमेन को ही चुनने की कोशिश करे
यदि आप अपनी साइट को Globally रैंक करवाना चाहते है तो GTLD डोमेन को चुने। वही अपनी साइट को किसी Specific country में रैंक करवाना चाहते है तो ccTLD डोमेन को चुने .
Generic Top-Level Domain – GTLD
ये बहुत ही कॉमन टाइप के डोमेन होते है जैसे .net, .edu, .org, .com, .mil, .gov
.com = इसे व्यावसायिक संगठनों के लिए बनाया गया था। यह सामान्य उपयोग में पहला टॉप लेवल डोमेन था. 1990 के दशक से ये सबसे लोकप्रिय Extension है. समय के साथ लोग इससे कुछ ज्यादा ही प्रभावित हो गए और आज सभी तरह के बिज़नेस के लिए इसका यूज़ किया जाता है जो सक्सेस्फुल भी है
.net = इसे Internet service provider (ISP) या नेटवर्किंग से जुडी कंपनियों के लिए बनाया गया था लेकिन समय के साथ ये इतना लोकप्रिय हुआ कि इसे हर तरह के बिज़नेस में यूज़ किया जाने लगा है।
.edu = शिक्षा से जुड़े या शैक्षिक संस्थानों के लिए बनाया गया था.
.org = संगठन और गैर-लाभकारी संस्थाओं के लिए बनाया गया था। इस समय तो संगठन, गैर-लाभकारी संस्थाओं के साथ-साथ स्कूलों द्वारा भी इसका उपयोग किया जा रहा है
.mil = इसे सैन्य सेवा के लिए बनाया गया था और अब भी इसे सिर्फ इसी काम के लिए उपयोग में लिया जाता है
.gov = इसे सरकार (Government) के लिए बनाया गया था। जिसे हर देश की सरकार यूज़ कर सकती है.
Country Code Top Level Domains (ccTLD)
जैसा की आपको नाम से ही सुनकर लग रहा होगा कि ये डोमेन नेम देश पर आधारित डोमेन है हर देश के लिए एक अलग तरह का डोमेन नेम एक्सटेंशन है जैसे इंडिया के लिए .in यूनाइटेड स्टेट्स के लिए .us ऑस्ट्रेलिया के लिए .au है यदि आपको अपनी साइट को किसी खास कंट्री के रैंक करवाना है तो आप इस तरह के डोमेन को ही ख़रीदे
.af – Afghanistan
.au – Australia
.bd – Bangladesh
.br – Brazil
.ca – Canada
.ch – Switzerland
.cn – China
.es – Spain
.fr – France
.id Indonesia
.in India
.iq Iraq
.ir Iran
.it Italy
.jp Japan
.kp North Korea
.kr South Korea
.lk Sri Lanka
.nz New Zealand
.pk Pakistan
.qa Qatar
.ru Russia
.sg Singapore
.us United States
Sponsored Top Level Domain – sTLD
Sponsored Top Level Domain या sTLD, टॉप लेवल डोमेन का ही टाइप है, जिसमें एक Sponsor होता है जो डोमेन एक्सटेंशन द्वारा एक specific community को बताता है
उदाहरण के लिए, शिक्षा से संबंधित संगठनों के लिए .edu, सरकार के लिए .gov, सेना के लिए .mil etc.
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Second-Level Domains
second level domain वह नाम है जो एक्सटेंशन के तुरंत बाएं होता है जैसे आप मेरी वेबसाइट के यूआरएल (https://rohitshukla.net/) को देख सकते है इसमें rohitShuklaएक Second-Level Domain (SLD) है. क्युकि ये एक्सटेंशन (.com) के तुरंत बाएं है
Sub-domain क्या है? (What is subdomain in Hindi)
आपके डोमेन नेम में अलग से जोड़ा गया नाम सबडोमेन कहलाता है आपकी वेबसाइट के अलग अलग तरह से सेक्शन या टॉपिक को कवर करने के लिए सबडोमेन बनाये जाते है आप भी अपने डोमेन नेम पर बहुत सारे सबडोमेन बना सकते है ठीक गूगल की तरह.
जैसा आप जानते होंगे कि गूगल का यूआरएल google.com/ है लेकिन इन्होने कई सारे सबडोमेन बना रखे है जैसे-
- adsense.google.com
- adservice.google.com
- analytics.google.com
- blog.google.com
- business.google.com
- chrome.google.com
- classroom.google.com
- cache.google.com
- answers.google.com
हम दूसरी भाषा में कह सकते है Second-level domain और प्रोटोकॉल के बीच आने वाले डोमेन पार्ट को sub-domain कहते है इसे हम Third Level Domain भी कहते है
DNS Name server क्या है (What is DNS Name server in Hindi)
डोमेन नेम सर्वर या नेम सर्वर डोमेन नेम को IP एड्रेस में बदलने का काम करता है इससे यूजर को वो कठिन IP एड्रेस याद नहीं करना पड़ता है फिर भी वो अपनी query को सोल्व कर सकता है
जब कोई उपयोगकर्ता अपने ब्राउज़र में URL सर्च करता है, जैसे “rohitking.com” तो उस URL को अब web server से जोड़ने का कोई तरीका होना चाहिए
जरा सोचिये किसी भी वेबसाइट को विजिट करने के लिए आपको हर बार उसका Ip address डालना पड़े तो? जैसे 159.89.229.118 या 159.89.229.119 कई IP एड्रेस इससे भी बड़े और कठिन होते है
जाहिर सी बात है कोई भी इसे नहीं याद रख सकता है. Name servers एक URL को सर्वर IP एड्रेस के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं. domain name meaning in hindi
किसी भी वेबसाइट के न्यूनतम दो नेम सर्वर होते है ये नेम सर्वर कुछ इस तरह दिखते है
- Ns-380.awsdns-47.com
- Ns-1076.awsdns-06.org
जितनी बार भी ये बदलाव या ट्रांसलेशन होता है एक नेम सर्वर इसे होस्ट या कैश करता है जहा पर भी ये होस्ट होते है उसे नेम सर्वर या DNS नेम सर्वर कहते है