एक सेटेलाइट हर घंटे करीब 29000 किलोमीटर से अधिक दुरी औसतन तय करती है. पृथ्वी के चारों ओर 2,500 से अधिक सेटेलाइट हैं. डिजिटल ग्लोब कंपनी की 4 सेटेलाइट अंतरिक्ष में है. जो दुनिया में होने वाली हर एक हलचल की तुरंत फोटो लेने के लिए तैयार है.
हमारे सोलर सिस्टम में 200 से भी ज्यादा प्राकृतिक सेटेलाइट मौजूद है. ऐसे ही कई सारे सेटेलाइट फैक्ट है. जो किसी को सेटेलाइट के बारे में जानने के लिए उत्सुक कर सकते है.
आज की इस पोस्ट में मैं आपको सेटेलाइट से जुडी हर एक चीज बताऊंगा. इसलिए पोस्ट से अंत तक जुड़े रहे आज हम बात करेंगे कि सेटेलाइट क्या है?(satellite in Hindi) ये कैसे काम करती है सेटेलाइट कितने प्रकार के होते है? पहला सेटेलाइट कौन सा था और इसे कब भेजा गया था सेटेलाइट हवा में कैसे रहते है? और भी कई प्रश्नो पर बात करेंगे चलिए समझते है
Table of Contents
सेटेलाइट क्या है (satellite in Hindi)
सेटेलाइट का मतलब होता है उपग्रह. एक उपग्रह एक गृह के चारो ओर चक्कर लगता है. ये गृह उस उपग्रह से आकर में बहुत बड़े हो सकते है. उदाहरण के लिए, पृथ्वी एक उपग्रह है क्योंकि यह सूर्य के चारो और चक्कर लगाता है. ठीक उसी तरह चंद्रमा भी एक उपग्रह है क्योंकि यह पृथ्वी के चारो और चक्कर लगाता है. सेटेलाइट एक तरह मशीन होती है जिसे अंतरिक्ष में छोड़ा जाता है. फिर वो पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहो के चारों ओर घूमती है.
उपग्रह दो प्रकार के होते हैं:
- प्राकृतिक उपग्रह
- कृत्रिम उपग्रह
प्राकृतिक उपग्रह: जैसे चंद्रमा, जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है.
कृत्रिम उपग्रह: जैसे International Space Station, जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है.
सेटेलाइट कैसे काम करती है (How does satellite work in Hindi)
सेटेलाइट का मेन काम कम्युनिकेशन करना होता है सेटेलाइट में बड़े बड़े सोलर पैनल लगे होते है. जहा से वो ऊर्जा लेती है. सेटेलाइट में ट्रांसपोंडर लगे होते है. जो ट्रांसमीटर और रिसीवर होते है जिसकी मदद से सिग्नल का आदान प्रदान किया जाता है.
सेटेलाइट में कुछ कण्ट्रोल मोटर भी होते है जिसकी मदद से हम सेटेलाइट को रिमोट के माध्यम से कण्ट्रोल कर सकते है. जैसे उनका ऑर्बिट या एंगल को चेंज करना.
ये चीजे लगभग हर प्रकार की सेटेलाइट में सामान होती है. इनके काम को और ज्यादा डिटेल से जानने के लिए हमे ये पता होना चाहिए कि ये कौन सी प्रकार की सेटेलाइट है. क्युकि हर सेटेलाइट की बनावट और उसका काम अलग अलग होता है. आगे हम सेटेलाइट के प्रकार के बारे में बारीकी से बात करेंगे.
ज्यादतर उपग्रहों को रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाता है एक उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा करता है जब उसकी गति पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव से संतुलित हो जाती है। यदि ये संतुलन नहीं होगा तो उपग्रह अंतरिक्ष में एक सीधी रेखा में उड़ जाएगा या पृथ्वी पर वापस आ जाएगा।
सेटेलाइट का इतिहास (History of satellite in Hindi)
सबसे पहली सेटेलाइट Sputnik 1 को सोवियत संघ द्वारा 4 अक्टूबर 1957 को Sputnik-PS राकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था. Sergei Korolev ने पहली सबसे कृत्रिम सेटेलाइट आविष्कार किया गया था.
इसके बाद यूनाइटेड स्टेट्स ने Explorer 1 नाम की सेटेलाइट को 1 फरवरी 1958 को Juno I राकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था. इसके बाद फ्रांस, जापान, चीन, यूनाइटेड किंगडम जैसे देशो ने सेटेलाइट लॉन्च की.
इसके बाद फ्रांस ने Astérix नाम की सेटेलाइट को 26 नवंबर 1965 को Diamant-A राकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था.
फिर जापान ने Ohsumi नाम की सेटेलाइट को 11 फरवरी 1970 को Lambda-4S राकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था.
इसके बाद चीन ने Dong Fang Hong I नाम की सेटेलाइट को 24 अप्रैल 1970 को Long March 1 राकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था.
इसके बाद चीन ने Prospero नाम की सेटेलाइट को 28 अक्टूबर 1971 को Black Arrow राकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था.
भारत सातवे नंबर पर था और इसने Rohini D1 सेटेलाइट को SLV राकेट के माध्यम से 18 जुलाई 1980 को लॉन्च किया गया था. ध्यान रहे यहाँ पर स्वयं निर्मित सेटेलाइट को स्वयं निर्मित लांचर से लॉन्च करने की बात हो रही है. ऐसे तो भारत ने सबसे पहले आर्यभट्ट सेटेलाइट लॉन्च की थी लेकिन इसे रुसी लांचर द्वारा लॉन्च किया गया था
भारत के बाद इजराइल, रूस, यूक्रेन, ईरान, नार्थ कोरिया, साउथ कोरिया, न्यूज़िलैंड आदि देखो ने सेटेलाइट लॉन्च की है.
प्राकृतिक उपग्रह क्या है (Natural satellite in Hindi)
एक प्राकृतिक उपग्रह एक खगोलीय पिंड है. जिसे अंतरिक्ष में देखा जा सकता है जो एक बड़े पिंड के चारों ओर परिक्रमा करता है. प्राकृतिक उपग्रह के उदाहरण चंद्रमा, यूरोपा, लो, पृथ्वी, बृहस्पति, शुक्र, कैलिस्टो, गेनीमेड, फोबोस आदि है.
चंद्रमा, पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है. ये पृथ्वी का एक चक्कर 1 km/s की स्पीड से 27.3 दिन में लगा पाता है जिसमे इसको करीब 3 लाख 84 हज़ार किलोमीटर की दुरी तय करनी पड़ती है.
यूरोपा, बृहस्पति का प्राकृतिक उपग्रह है. ये बृहस्पति का एक चक्कर 17.33 km/s की स्पीड से 1.77 दिन में लगा पाता है. जिसमे इसको करीब 4 लाख 22 हज़ार किलोमीटर की दुरी तय करनी पड़ती है.
पृथ्वी, सूर्य का प्राकृतिक उपग्रह है ये सूर्य का एक चक्कर 29.8 km/s की स्पीड से 365.26 दिन में लगा पाती है जिसमे इसको करीब 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर की दुरी तय करनी पड़ती है.
बृहस्पति, सूर्य का प्राकृतिक उपग्रह है. ये सूर्य का एक चक्कर 35 km/s की स्पीड से 224.7 दिन में लगा पाता है. जिसमे इसको करीब 10 करोड़ 82 लाख 10 हज़ार किलोमीटर की दुरी तय करनी पड़ती है.
इसी तरह लो – बृहस्पति का, शुक्र- सूर्य का, कैलिस्टो और गेनीमेड – बृहस्पति का, फोबोस – मंगल ग्रह का उपग्रह है.
कृत्रिम उपग्रह क्या है (Artificial satellite in Hindi)
कृत्रिम उपग्रह मानव निर्मित ग्रह हैं. जो सौर मंडल में पृथ्वी और अन्य ग्रहों की परिक्रमा करते हैं। यह प्राकृतिक उपग्रहों से अलग होता है, पृथ्वी के वर्तमान में एक हजार से अधिक सक्रिय कृत्रिम उपग्रह हैं. किसी भी उपग्रह का उद्देश्य मतलब उसका क्या काम है ये उसके आकार, ऊँचाई और डिज़ाइन पर निर्भर करता है.
उपग्रह भिन्न भिन्न आकार के होते है. कुछ उपग्रह घन आकार के होते है. जिनका आकर 10 सेमी से भी कम होता है. कुछ उपग्रह लगभग 7 मीटर लंबे होते हैं जिनमे एक सोलर पैनल भी होता है जिसे 50 मीटर तक बढ़ा सकते है.
सबसे बड़ा कृत्रिम उपग्रह International Space Station (ISS) है। इसका मुख्य भाग पांच-बेडरूम के बड़े घर जितना बड़ा है, लेकिन सौर पैनलों सहित, यह एक रग्बी क्षेत्र जितना बड़ा है.
भारत 1975 से अलग अलग प्रकार के उपग्रहों का सफलतापूर्वक टेस्ट कर रहा है. भारतीय रॉकेटों के अलावा इन उपग्रहों को दूसरे देश के रॉकेट से भी लॉन्च किया गया है. जिनमें अमेरिकी, रूसी और यूरोपीय रॉकेट भी शामिल हैं. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की हर एक चीज Indian Space Research Organisation (ISRO) संभालती है.
भारत 1975 से कई तरह के सेटेलाइट भेज चुका है. जिनकी संख्या बहुत बड़ी है अब मैं आपको कुछ प्रसिद्द सेटेलाइट के बारे में बताऊंगा.
भारत का सबसे पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट था. जिसे 19 अप्रैल 1975 को “कपुस्तीन यार” स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. जो रूस के एक शहर वोल्गोग्रेड से 100 किलोमीटर पूर्व में स्थित है.
भारत का दूसरा कृत्रिम उपग्रह Bhaskara sega -I था. जिसे 7 जून 1979 को “कपुस्तीन यार” से लॉन्च किया गया था.
तीसरा उपग्रह Rohini Technology Payload था जिसे 10 अगस्त 1979 को “सतीश धवन स्पेस सेंटर” से लॉन्च किया गया था. ये श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में है ये पहला उपग्रह था जो भारत के स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ था.
चौथा उपग्रह Rohini RS-1 था. जिसे 18 जुलाई 1980 को “सतीश धवन स्पेस सेंटर” से लॉन्च किया गया था जो भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह था.
इसके बाद बहुत से सेटेलाइट भेजे जा चुके है. हाल ही में भेजा गया सेटेलाइट EOS-01 है जिसे 7 नवंबर 2020 को “सतीश धवन स्पेस सेंटर” से लॉन्च किया गया था.
भारत के सभी कृत्रिम उपग्रह (satellite meaning in hindi) के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करे.
सेटेलाइट के प्रकार (Types of satellites in Hindi)
Astronomical satellites
इसे हिंदी में खगोलीय उपग्रह कहते है. खगोलीय उपग्रह का उपयोग दूर के ग्रहों, आकाशगंगाओं और अन्य बाहरी अंतरिक्ष वस्तुओं की देख रेख के लिए करते है.
Biosatellites satellites
इसका उपयोग वैज्ञानिक प्रयोग के लिए जीवित जीवों को ले जाने के लिए किया जाता है.
Communication satellites
इसे हिंदी में संचार उपग्रह कहते है. संचार उपग्रह का उपयोग दूरसंचार के लिए करते है मॉर्डर्न संचार उपग्रह आमतौर पर जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट, मोलनिया ऑर्बिट या लो अर्थ ऑर्बिट का उपयोग करते हैं.
Earth observation satellites
इसका उपयोग पृथ्वी से जुडी चीजों को समझने के लिए करते है. जैसे पर्यावरण निगरानी, मौसम विज्ञान, मानचित्र बनाना आदि.
Navigational satellites
जब भी आप अपने डिवाइस पर किसी जगह की लोकेशन देखते है .उसमे नेविगेशनल सेटेलाइट का ही हाथ होता है नेविगेशनल सेटेलाइट वे उपग्रह हैं. जो रेडियो टाइम सिग्नल को यूज़ करते है और मोबाइल रिसीवर की मदद से सटीक लोकेशन बताते है. ये एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन के बीच दूरी नापने में भी मदद करते है.
Killer satellites
ये वे उपग्रह हैं जो दुश्मन के युद्धक, उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष संपत्तियों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.
Reconnaissance satellites
इस तरह के उपग्रह को सैन्य या खुफिया एजेंसियो से जुडी चीजों की निगरानी से लिए बनाया गया है. इन उपग्रहों की पूरी शक्ति के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, क्योंकि इन्हे सरकारें मैनेज करती हैं.
Space-based solar power satellites
ये वे उपग्रह है जो सूर्य से ऊर्जा लेकर इसे पृथ्वी या अन्य स्थानों पर उपयोग के लिए प्रदान करते हैं.
Space stations
स्पेस स्टेशन मानव द्वारा निर्मित घर है. जिसे अंतरिक्ष यात्रियों के रहने और काम करने के लिए बनाया गया है और जिसे अंतरिक्ष में भेजा जाता है और फिर ये पृथ्वी के चारों ओर घूमता रहता है.
Tether satellites
टीथर उपग्रह एक तरह के उपग्रह होते हैं. जो एक, दूसरे उपग्रह से पतली केबल के माध्यम से जुड़े होते हैं, जिसे टीथर कहा जाता है.
Weather satellites
मौसम उपग्रह का उपयोग मुख्य रूप से पृथ्वी के मौसम और जलवायु की देख रेख के लिए किया जाता हैं. (satellite meaning in Hindi)
Satellite के उपयोग (Uses of Satellite in Hindi)
सेटेलाइट का यूज़ Business & finance, Weather, Climate & environmental monitoring, Safety, Land stewardship, Development, Space science आदि के लिए किया जाता है.
Television उपग्रह घरों में सीधे टीवी सिग्नल भेजते हैं, केबल और टीवी नेटवर्क का काम भी इन्ही पर निर्भर है। ये उपग्रह, एक सेंट्रल स्टेशन से सिग्नल्स भेजते हैं. जो प्रोग्रामिंग के जरिये छोटे स्टेशनों तक पहुंचते है फिर वहा से केबल या एयरवेव के माध्यम से घरो तक पहुंचते है.
आप टेलीविज़न में जितने भी चीजे देखते है. वो सब सेटेलाइट के जरिये ही टेलीकास्ट जाती है. जैसे न्यूज़, लाइव रिपोर्टिंग, मूवीज, कार्टून, गाने आदि.
Weather सेटेलाइट की मदद से बड़े स्तर पर मौसम विज्ञानियों को मौसम की जाँच करने की क्षमता मिलती है. जिससे वो बारिश, तूफान, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, गैस और तेल क्षेत्रों जैसी घटनाओं के बारे में पहले से ही अनुमान लगा सकते है.
Earth observation satellites की मदद से सेटेलाइट समुद्र और हवा के साथ-साथ जंगल की आग, तेल और वायु प्रदूषण की निगरानी कर सकते हैं. इससे पर्यावरण सफाई को व्यवस्थित करने में मदद करती है. दूर के क्षेत्रों में मुशीबत में फॅसे लोगों के लिए उपग्रह खोज और बचाव का काम कर सकता हैं. सेटेलाइट बचाव फ़ोर्स को जल्दी और सही तरीके से भूमि, समुद्र, या उच्च ऊर्जा स्थान पर ले जा सकती है.
- सेटेलाइट का उपयोग संचार में किया जाता है.
- सेटेलाइट मौसम पूर्वानुमान सिस्टम में उपयोग किए जाते हैं.
- सेटेलाइट जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) में उपयोग किए जाते हैं.
- सेटेलाइट अंतरिक्ष में उपकरणों और यात्रियों को ले जाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जिससे वो एक्सपेरिमेंट्स कर सके.
सेटेलाइट हवा में कैसे रहती है (How does the satellite stay in the air)
यहाँ पर एक नियम लगता है. जिसे जॉन कैप्लर ने बनाया था. उन्होंने बताया था कि अगर किसी भी ऑब्जेक्ट को स्पेस में रहकर किसी दूसरे ऑब्जेक्ट के चक्कर लगाने है तो ऐसे में अगर वो एक फिक्स स्पीड और वेग पर एक निश्चित क्षैत्र में घूमेगा है .
तो वो कभी भी नहीं गिरेगा यहाँ पर स्पीड सभी सेटेलाइट के लिए अलग अलग हो सकती है. क्युकि सेटेलाइट का सही तरीके से काम करना स्पीड और दोनों ऑब्जेक्ट के बीच की दुरी पर निर्भर होता है. जो ऑब्जेक्ट पृथ्वी से नजदीक है वो ज्यादा तेज चक्कर काटती है जो दूर है वो थोड़ा धीरे चक्कर काटती है.
Conclusion
आज हमने जाना कि सेटेलाइट क्या है?(satellite in Hindi) ये कैसे काम करती है सेटेलाइट कितने प्रकार के होते है? पहला सेटेलाइट कौन सा था और इसे कब भेजा गया था सेटेलाइट हवा में कैसे रहते है? और भी कई प्रश्नो पर बात की.
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